PRESENTATION OUTLINE
शिशुलालनम्
- Name:-Harsh Thakur
- Class:-10th
- Roll no:-38
- Submitted to:-Garima Ma'am
विदूषक- हे आर्यो ! इधर से, इधर से ।
कुश और लव- (राम के समीप जाकर और प्रणाम करके) क्या महाराज कुशल हैं?
राम- आपके दर्शनों से कुशल हूँ। हम यहाँ आपकी कुशलता पूछने के पात्र हैं, नहीं फिर (आप जैसे) अतिथियों को समुचितरूप से गले लगाने के पात्र हैं (हम)। (गले लगाकर) अरे! हृदय को छूने वाला स्पर्श है।)
दोनों- यह राजा का आसन है, इस पर बैठना उचित नहीं है।
राम- (यह) व्यवधान ( रुकावट ) के साथ, आचरण के लोप के लिए नहीं है। इसलिए गोद की रुकावट के साथ बैठ जाईये सिंहासन पर ।
(गोद में बैठाते हैं)
दोनों- (अनिच्छा का अभिनय करते हैं) हे राजन् ! अत्यधिक कुशलता मत कीजिए ।
राम- अधिक शालीनता मत कीजिए।
अत्यधिक गुणी लोगों के लिए भी छोटी उम्र के कारण बालक लालनीय ही होता है। चन्द्रमा बालभाव के कारण ही शङ्कर के मस्तक का आभूषण बनकर केतकी पुष्पों से निर्मित चूड़ा की भाँति शोभित होता है । ‘